जियो सिम के नाम पर ये लोग आपको मूर्ख बना रहे हैं
जो चीज मार्केट में हिट है, उसे ध्यान में रखते हुए ये जाल बुना जाता है. इससे पहले जब सरकार LED लाइट लेकर आई थी, तो कुछ लोग इसी तरह फ्री LED के नाम पर आपका डेटा चुरा रहे थे.
ये काम बहुत आसान है. कुछ चालाक इंडिविजुअल्स ये काम करते हैं. एक डोमेन नेम 200-300 रुपये में मिल जाता है. आप उनकी साइट पर पहुंचेंगे तो पहले दी जाएगी बधाई. फिर कहेंगे कि आप फलां फलां प्राइज जीत गए हैं. लेकिन उसे लेने के लिए आपको ये मैसेज 5 व्हॉट्सएप ग्रुप में शेयर करना है. आप ऐसा करते भी हैं. फिर उन ग्रुप्स के लोग इस लिंक पर जाकर अपनी जानकारी डाल आते हैं. इस तरह ये स्पैम फैलता जाता है और बहुत कम खर्चे में लाखों लोगों का एक डेटाबेस इन चालाक चोरों के पास बन जाता है. आपको जो बिल्डर प्लॉट और फ्लैट के मैसेज करते हैं, वो रैंडम नंबर्स पर नहीं किए जाते. वे लोग ऐसे ही लोगों से नंबरों का डेटाबेस खरीदते हैं.
कैसे पता लगाएं फर्जीवाड़ा
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पहले तो वेबसाइट के URL से ही पता लग जाएगा. रिलायंस वाले जियो सिम बांटेंगे तो वो उनकी वेबसाइट Rcom.co.in के आगे स्लैश (/) के साथ लिखा होगा. तो आप वेब URL को ही ठीक से देखें तो पकड़ सकते हैं.
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दूसरा, वेबसाइट को बैक ट्रैक कर सकते हैं. कि इस वेबसाइट का URL किसने और कब बुक किया और ये कब एक्सपायर होगा.
इसलिए. हौले हौले चलो भैया. सिम तो कद्दू मिलेगा. प्राइवेसी गंवा बैठोगे, सो अलग!
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